Tuesday, July 20, 2010

करोड़ों नोटों की कतरन 90 पैसे किलो!

इंदौर. शहर के खंडवा नाका स्थित रानीबाग में रविवार रात बिखरी मिली नोटों की कतरन मिलने के मामले का सोमवार को खुलासा हो गया। कतरन इंदौर की ही राजरतन ग्रुप ऑफ कंपनीज की हैं, जो उसने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) भोपाल से खरीदी थीं।



90 पैसे प्रति किलो के हिसाब से इस दो बोरा कतरन का मूल्य 38 रु. बताया जा रहा है। कंपनी ने पुलिस पूछताछ में कतरनें अपनी होना कबूला है। रानीबाग में रविवार रात नोटों की कतरन मिलने से शहर में हड़कंप मच गया था।



मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने कतरन जब्त कर उसकी फॉरेंसिक जांच तक कराने की तैयारी कर ली थी।एडिशनल एसपी मनोजसिंह को दोपहर में सूचना लगी कि इंदौर की एक कंपनी नोट की कतरनों से फर्नीचर शीट बनाती है। उन्होंने भंवरकुआं थाने में कंपनी संचालक अशोक जैन के बेटे आशय जैन से पूछताछ की। आशय ने बताया कतरन उनकी कंपनी की ही है, वे आरबीआई भोपाल से पुराने और नए नोटों की कतरन खरीदते हैं।



इस बेस्ट मटेरियल से सांवेर रोड और खंडवा रोड स्थित उनकी फैक्टरी में फर्नीचर शीट बनती हैं। उन्होंने बताया उनकी कंपनी आरबीआई से 2005 से कतरनें खरीद रही है। फिलहाल कंपनी के पास 350 टन नोटों की कतरन मौजूद है।



सीएसपी बिट्टू सहगल ने बताया नए नोट में कुछ खामी रह जाने पर और पुराने नोट मार्केट में लाने की स्थिति में नहीं होने पर आरबीआई उनकी कतरन कर देती है। इस कतरन को आम आदमी बैंक से खरीद सकता है।



किसने फैंकी कतरन



प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रानीबाग-बी के गेट के पास रविवार सुबह से ही दो प्लास्टिक के बोरे रखे थे। दोपहर में वहां खेल रहे बच्चे बोरों के ऊपर से निकले तो उसमें रखीं प्लास्टिक की थैलियां बाहर आ गईं। बच्चों ने थैलियां फाड़ीं तो कागज के टुकड़ों की कतरन थी।



बच्चे कतरन को हवा में उड़ाकर खेलने लगे। इससे पूरी सड़क पर कतरन फैल गई। शाम को वहां से कुछ युवक निकले तो उन्होंने कतरन हाथ में लेकर देखी,उन्हें शक हुआ कि यह नोटों की कतरनें हैं। उन्होंने भास्कर को फोन किया और फिर पुलिस हरकत में आई थी।



अब पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आखिर कतरन कॉलोनी के गेट पर किसने फेंकी थी। इधर, आशय का कहना है दोनों फैक्टरी में कतरनों के बोरे ट्रक से जाते हैं, हो सकता है रास्ते में ट्रक से बोरे गिर गए हों, या फिर कोई कर्मचारी फैक्टरी से बोरे चुराकर ले आया हो।



बैंक लुगदी देती है, तो कतरन कैसे आई?



मध्यप्रदेश में भोपाल स्थित रिजर्व बैंक के ऑफिसों में नोटों को नष्ट करने की मशीन लगी हुई है। जानकारी के अनुसार वहां पर बाजार में चलन में नहीं आने वाले नोट, नंबर्स या अन्य किसी कारण से रद्द किए हुए या फिर कटे-फटे नोटों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं।



खास बात यह है कि मशीनों से नोटों की इतनी बारीक कतरन होती है कि नोटों के कागज की लुगदी बन जाती है। इधर, रानीबाग में मिले नोट के टुकड़े काफी बड़े और साबुत है। साथ ही कतरन की लुगदी के बजाय एक-एक टुकड़ा अलग-अलग है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि नोटों की कतरन के टुकड़े बाहर कैसे आए।


क्या खजुराहो में छिपा है लादेन!

मिलती-जुलती सूरत के कारण स्थानीय लोग मुश्ताक कश्मीरी को पुकारते हैं इस नाम से। फिल्म ‘तेरे बिन लादेन’ के निर्माता अभिषेक शर्मा फिल्म बनाने से पहले खजुराहो आए होते तो उन्हें न केवल लादेन के रोल के लिए लादेन नाम का ही व्यक्ति मिलता बल्कि चेहरे और कद काठी के हिसाब से भी शायद सही पात्र उनके सामने होता।

चौंकाने वाली खबर तो यह है ही क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी खजुराहो में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से लादेन नाम का एक शख्स रह रहा है। जो न केवल देखने में बहुत कुछ लादेन जैसा है बल्कि खजुराहो के लोग भी इसे सिर्फ इसी नाम से पुकारते हैं।



मूलत: श्रीनगर के लाल बाजार निवासी मुश्ताक कश्मीरी यहां शिल्प ग्राम के पास कश्मीरी वस्त्रों व फैंसी आइटमों की दुकान चलाते हैं। शुरुआती दिनों में उन्होंने कुछ समय तक यहां के एक फाइव स्टार होटल में इसी तरह के व्यवसाय से संबंधित एक दुकान में काम किया।



बाद में अपना खुद का कारोबार जमा लिया। 11 सितंबर २क्क्१ को वांशिगटन में पेंटागन पर हमले के बाद जब लादेन चर्चा में आया तो श्री कश्मीरी के मिलते-जुलते चेहरे की वजह से लोग उन्हें भी लादेन कहकर पुकारने लगे।



स्वभाव से हंसमुख, मिलनसार और विनम्र 58 वर्षीय मुश्ताक कश्मीरी इस संबोधन से कभी नाराज नहीं होते बल्कि हास परिहास स्वरूप अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए प्रतिप्रश्न कर बैठते हैं कि क्या मैं लादेन जैसा दिखता हूं।



और फिर ठहाके गूंजने लगते हैं।



उनकी इस नाम से पहचान का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खजुराहो में आपको उनके पास तक पहुंचना है तो ऑटो वाले से सिर्फ इतना ही कहना काफी है कि मुझे लादेन से मिलना है। चंद मिनटों में ही आप उनकी दुकान के सामने खड़े होंगे।



मुश्ताक कश्मीरी कहते हैं कि लोग उन्हें प्यार से लादेन कहकर पुकारते हैं। अत: बुरा मानने का प्रश्न ही नहीं उठता।

एक करोड़ का बटुआ

भोपाल. शहर के एक डायमंड ज्वैलर्स ने सोमवार को हीरे और सोने से जड़ा एक करोड़ रुपए का भोपाली बटुआ लांच किया। यह बटुआ होटल नूर उस सबाह में प्रदर्शित किया गया। इस दौरान अभिनेता शाहवर अली व अभिनेत्री लिंडा आर्सेनियों मौजूद थी।

नूर उस सबाह में बटुए को 20 से 25 जुलाई तक चलने वाली प्रदर्शनी में रखा जाएगा, जहां सुबह 11 से रात 9 बजे तक लोग इसे निहार सकेंगे।

करीने से जड़े हैं 1787 हीरे

35 दिन में तैयार किए गए इस बटुए को १६ लोगों ने तैयार किया है। इसमें कुल 1787 डायमंड जड़े हैं। इसमें 849.750 ग्राम सोना, रियल डायमंड के 89.63 कैरेट के 1787 पीस के अलावा रूबी के 89.63 कैरेट के 521 पीस, बसरा के मोती के 45.42२ कैरेट के 552 पीस लगाए गए हैं। बटुए की 10 इंच ऊंचा और 8 इंचा चौड़े इस बटुए की डिजाइन बनाई है सैयद फारुख ने।