Thursday, April 22, 2010

अपने दूध से बनाती हैं खाना

milk
लंदन. गाय की दूध से बने लजीज पकवान तो आपको खूब भाते होंगे, परंतु सोचिए अगर आपके सामने किसी महिला के दूध से बने चाय, हलवा या कुछ और पकवान परोसे जाएं तो क्या करेंगे।

अबी बलैके नाम की तीस वर्षीय महिला अपने दूध से लजीज खाना बनाती हैं। वह अपने परिवार के लिए गाय का दूध नहीं खरीदतीं। इसके जगह पर वह अपना दूध ही इस्तेमाल करती हैं। अबी ने अपने दूध से बने भोजन को कुछ खास दोस्तों को भी खिलाया है।



इसके बारे में अबी कहती हैं कि मेरा आठ माह का बच्चा है। मुझे अपने बच्चे की जरूरत से अधिक दूध आता है। इसीलिए जब मेरे बेटे का पेट भर जाता है तो मैं बाकी के बचे दूध को पम्प की सहायता से निकाल लेती हूं और इस्तेमाल करती हूं। अबी आगे कहती हैं कि जब उन्होंने अपने दूध से बना भोजन बनाया था तो परिवार के लोग नहीं खाना चाहते थे, परंतु मेरे कहने के बाद उन्होंने खाया तो खाना काफी स्वादिष्ट लगा।


लंगूर को मिली सरकारी नौकरी

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कानपुर। लाल मुंह वाले बंदरों को भगाने के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (एसिक) ने एक लंगूर को वेतन पर रखा है। इस लंगूर का नाम मंगल है और इसको आठ हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाएगा।

सर्वोदय नगर स्थित एसिक भवन में लाल मुंह वाले बंदरों की भरमार है। ये खतरनाक बंदर दफ्तर में घुस कर फाइलों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही सामान भी तोड़ देते हैं। आस-पास के घरों में घुस कर फ्रिज खोलकर फल-सब्जी फेंक देना तो मामूली बात हो गई है। अब तो इन लाल मुंह वाले बंदरों ने आक्रमक रूप धर लिया है।



दफ्तर आने वाले कर्मचारियों पर ये हमला भी करने लगे है। इन बंदरों से बचने के लिए केन्द्र सरकार ने फण्ड की व्यवस्था की है। इसी फंड से मंगल को वेतन दिया जाएगा। मंगल नाम का लंगूर इन दिनों एसिक भवन के अधिकारियों के लिए वीआईपी बना हुआ है। मदारी इस लंगूर को एक लंबी रस्सी से बांधे इसे घुमाता रहता है। यहां के बंदर इससे बहुत डरते है इसी देखते ही वे सभी भाग जाते हैं। एसिक भवन के बड़े अधिकारी का कहना है कि बंदरों के उत्पात से अजिज आकर ही आठ हजार रुपए प्रतिमाह के व्यय पर लंगूर और उसके कंट्रोलर को रखा गया है।


जिंदगी और मौत की जंग

leopardलंदन. यहां असावधानी का मतलब होता है मौत, जी हां जंगल का कानून ही कुछ ऐसा है, जहां अपने जीने के लिए दूसरों को मारना पड़ता है। शिकार और शिकारी के बीच चलने वाला खेल कुछ ऐसा होता है, जिसमें गलती करने पर दूसरा अवसर नहीं मिलता।

leopardशिकार होने वाला जीव यह ध्यान रखता है कि वह किसी शिकारी के चंगुल में न पड़ जाए तो वहीं शिकारी अपनी भूख शांत करने के लिए हमेशा अपनी तकनीक बदलता रहता है।



lepordशिकार करने के मामले में तेंदुए का कोई सानी नहीं। छिपने और रात में भी शिकार कर पाने की क्षमता इसे जंगल का सबसे घातक जानवर बना देती है। इसके इसी क्षमता को ब्रिटेन के फोटोग्राफर माइक बाइली ने अपने कैमरे में उतारा। माइक ने ये तस्वीरें अफ्रीका के बोटस्वाना के जंगल में एक जंगली सुअर को तेंदुए द्वारा शिकार बनाए जाने के समय ली हैं।



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मोबाइल की दीवानी लड़कियां

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एक नए सर्वे के मुताबिक लड़कियां लड़कों की तुलना में ज्यादा मैसेज करती हैं। मोबाइल से टैक्सट मैसेज भेजना का चलना अब पुराना हो गया है। लेकिन फिर भी मैसेज भेजने का जुनून कम नहीं हुआ है। मिशिगन यूनिवर्सिटी और प्यू रिसर्च सेंटर इंटरनेट एंड अमेरिकन लाइफ प्रोजेक्ट द्वारा किए गए सर्वे में यही बात खुलकर सामने आई है।

शोध में पता चला है कि युवा वर्ग रोज करीब 50 मैसेज भेजता और प्राप्त करता है। इस तरह एक माह में करीब 1500 मैसेज का आदान प्रदान होता है। शोध के अनुसार 31 फीसदी लड़कियां एक दिन में 100 मैसेज तक भेजती और प्राप्त करती हैं।