Tuesday, April 20, 2010

किस माह में जन्मी महिला कैसी?

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्त्रियों का स्वभाव उनके जन्म के मास से भी जाना जा सकता है। यहां हम क्र म से इन हिन्दी मासों मे जन्म लेने वाली महिलाओं के स्वभाव की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।

चैत्र मास: चैत्र मास में जन्म लेने वाली स्त्री वक्ता, होशियार, क्रोधी स्वभाव वाली, रतनारे नेत्र वाली, सुंदर रूप- गोरे रंग वाली, धनवान, पुत्रवती और सभी सुखों को पाने वाली होती है।

वैशाख मास: वैशाख मास में जन्म लेने वाली स्त्री श्रेष्ठ पतिव्रता, कोमल स्वभाव वाली, सुंदर हृदय, बड़े नेत्रों वाली, धनवान, क्रोध करने वाली तथा मितव्ययी होती है।

ज्येष्ठ मास: ज्येष्ठ मास में पैदा होने वाली स्त्री बुद्धिमान और धनवान, तीर्थ स्थानों को जाने वाली, कार्यों में कुशल और अपने पति की प्यारी होती है।

आषाढ़ मास: आषाढ़ मास में उत्पन्न स्त्री संतानवान, धन से हीन, सुख भोगने वाली, सरल और पति की दुलारी होती है।

श्रावण मास: श्रावण मास में जन्म लेने वाली पवित्र , मोटे शरीर वाली, क्षमा करने वाली, सुंदर तथा धर्मयुक्त और सुखों को पाने वाली होती है।

भाद्र मास: भाद्र मास में जन्म लेने वाली कोमल, धन पुत्रवाली, सुखी घर की वस्तुओं कि देखभाल करनेवाली, हमेशा प्रसन्न रहने वाली, सुशीला और मीठा बोलने वाली होती है।

आश्विन मास: आश्विन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सुखी, धनी, शुद्ध हृदय गुण और रूपवती होती है, कार्यों में कुशल तथा अधिक कार्य करने वाली होती है।

कार्तिक मास: कार्तिक मास में जन्म लेने वाली स्त्री कुटिल स्वभाव कि, चतुर, झुठ बोलने वाली, क्रूर और धन सुख वाली होती है।

मागशीर्ष मास: मागशीर्ष में जन्म लेने वाली पवित्र , मिठे वचनों वाली, दया, दान, धन, धर्म करने वाली, कार्य में कुशल और रक्षा करने वाली होती है।

पौष मास: पौष मास में जन्म लेने वाली स्त्री पुरुष के समान स्वभाव वाली, पति से विमुख, समाज में गर्व तथा क्रोध रखने वाली होती है।

माघ मास: माघ मास में जन्म लेने वाली स्त्री धनी, सौभाग्यवान, बुद्धिमान संतान से युक्त तथा कटु पर सत्य वचन बोलने वाली होती है।

फाल्गुन मास: फाल्गुन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सर्वगुणसंपन्न, ऐश्वर्यशाली, सुखी और संताति वाली तीर्थ यात्रा पर जाने वाली तथा कल्याणकरने वाली होती है।

कान और नाक का छेदन जरूरी क्योंकि...

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आज के आधुनिक युग में सामान्यत: लड़कियां कान और नाक के छेदन के पक्ष में नहीं होती है। फिर भी कुछ लड़कियां कान का छेदन तो करा ही लेती हैं। वैसे लड़कियों के कानों में झुमका, बाली आदि उनकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। नाक की नथ भी उनकी सुंदरता की पूर्णता प्रदान करती है। सामान्यत: इन्हें सुंदरता की दृष्टि से ही देखा जाता है।

शास्त्रों में नाक और कान का छेदन लड़कियों के लिए अनिवार्य बताया गया है। ऐसा उनकी शारीरिक संचरना को ध्यान में रखकर परंपरा से जोड़ा गया है। स्त्रियां शारीरिक रूप से काफी संवेदनशील होती हैं उन पर मौसम के छोटे-छोटे परिवर्तन का भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

नाक की नथ उन्हें नासिका संबंधी रोगों से बचाती है, कफ, सर्दी-जुकाम आदि रोगों से लडऩे की शक्ति प्रदान करती है। नाक की नथ नाक की नसों के लिए एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर का काम करती है।

कानों के झुमके, बाली आदि मस्तिष्क के दोनों भागों के लिए एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर का काम करता है। दिमाग के कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही कानों में बाली पहनने से स्त्रियों का मासिक धर्म भी नियमित रहता है और ऐसे ही कई अन्य रोगों से लडऩे की शक्ति का संचार होता है।

लड़कियां काजल क्यों लगाती है?

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सुंदर आंखों वाली लड़कियां जब काजल लगाती हैं तो उनकी सुंदरता देखते ही बनती है। सामान्यत: सभी लड़कियां काजल लगाती है।

काजल को सोलह शृंगार में भी शामिल किया गया है। सभी यही सोचते हैं कि काजल का उपयोग सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है। परंतु सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ काजल के अन्य उपयोग भी हैं। जैसे काजल में औषधिय गुण होते हैं जो आंखों के लिए एक औषधि का काम करता है।

जिससे आंखों की देखने क्षमता बढ़ती है और नेत्र रोगों से भी बचाव हो जाता है। साथ ही काजल दूसरों की बुरी नजर से भी रक्षा करता हैं।

मंगलसूत्र क्यों जरूरी है विवाहिता के लिए?

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धागे में पिरोए काले मोती और सोने का पेंडिल से बना मंगलसूत्र पहनना विवाहित स्त्री के अनिवार्य बताया गया है। इसकी तुलना किसी अन्य आभूषण से नहीं की जाती। प्राचीन काल से मंगलसूत्र की बड़ी महिमा बताई गई है। हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह पर पति द्वारा पहनाया जाता है जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु पर ही उतार कर पति को अर्पित करती है। उसके पूर्व किसी भी परिस्थिति में मंगलसूत्र स्त्री उतारना मना है। इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है। साथ ही इसे पति की कुशलता से भी जोड़ा गया है। इसी वजह से विवाहित महिलाओं के लिए मंगलसूत्र पहनना अनिवार्य माना गया है।
यह तो हुआ मंगलसूत्र का धार्मिक महत्व परंतु मंगलसूत्र की अनिवार्यता के कुछ अन्य कारण भी है। विवाहित स्त्री जहां जाती है वहां वह आकर्षण का केंद्र होती है। सभी की अच्छी-बुरी नजरें उसी की ओर होती हैं। ऐसे में मंगलसूत्र के काले मोती उसे बुरी नजर से बचाते हैं। वहीं उसमें लगे सोने के पेंडिल का भी विशेष महत्व है। चूंकि सोना तेज और ऊर्जा का प्रतीक है। इसी लिए सोने के पेंडिल से स्त्री में तेज और ऊर्जा का संचार बना रहता है। इन्हीं वजह से मंगलसूत्र को विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य बताया गया है।

स्त्रियां पुरुषों से अधिक सुन्दर क्यों ?

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वैसे तो सुन्दरता देखने वाले के दृष्टिकोण पर नर्भर होती है। क्योंकि जिसके प्रति हमारे मन में प्रेम होता है, उसकी शारीरिक बनावट चाहे जेसी भी हो वह हमें निश्चय ही सुन्दर और आकर्षक ही लगेगा। जबकि इसके विपरीत अच्छे और तीखे नैन-नक्स वाला इंसान भी हमें बदसूरत और अनाकर्षक लग सकता है यदि उसके प्रति हमारे मन में सद्भावना न हो। यदि धर्म और दर्शन के नजरिये से सोचें तो हम पाएंगे कि वहां बाहर की बजाय आन्तरिक सौन्दर्य को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि आन्तरिक सौन्दर्य स्थाई होता है जबकि शारीरिक सौन्दर्य शरीर की मृत्यु के साथ ही मिट जाता है। यदि स्त्रियों के सौन्दर्य की बात करें तो यह सच ही है कि वे पुरुषों की बजाय अधिक सुन्दर व ज्यादा आकर्षक होती हैं।

वे सहज हैं- स्त्रियों की सुन्दरता का कारण यह हे कि वे अत्यंत सहज होती हैं। यानि कि दु:ख मिला तो बिना संकोच के दिल खोलकर रो लीं, सुख मिला तो खिल-खिला कर हंस लीं। मतलब कि जो अन्दर वही बाहर भी जबकि पुरुष रोने या हंसने से पहले दस बार सोचता है। पुरुष अपने झूठे अहंकार के कारण अपने भावों को व्यक्त नहीं करता जिससे उसके अन्दर मनो-ग्रंथिया बन जाती हैं। ये ग्रंथिया ही चेहरे पर कठोरता और शुष्कता बन कर प्रकट होती हैं। जबकि स्त्रियां और छोटे बच्चे हंसकर, रोकर अपने समस्त भावों को प्रकट करते रहते हैं, जिससे उनका मन और अन्त:करण धुलकर निर्मल हो जाता है। यही कारण है कि स्त्रियां और बच्चे पुरुषों की बजाय अधिक सुन्दर एवं आकर्षक होते हैं।

तो हजारों साल जी सकता है इंसान

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चाहे जीवन में दुखों के हिमालय खड़े हों, पर इंसान को जिंदगी का मोह इतना है कि वह लाखों-लाख साल जीना चाहता है। यह आज की ही बात नहीं है मनुष्य जाति का समूचा इतिहास इस बात का गवाह है। जब तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए तब भी इंसान ने बजाय सुख-शान्ति मांगने के लम्बी उम्र ही मांगी। बेचारा विज्ञान तो ठहरा सेवक, सो वह भी होंश संभालते ही मनुष्य की इस चिर अभिलाषा की पूर्ति में प्राण-पण से जुटा हुआ है।

अब विज्ञान इस नतीजे पर पंहुचा है कि बुढ़ापा या मृत्यु कोई अनिवार्य घटना नहीं है। विज्ञान का मानना है कि बुड़ापा एक रोग है और मृत्यु इस लाइलाज बनी हुई बीमारी का अंतिम परिणाम। विश्व को भारत की अनमोल देन, योग-विज्ञान का एक सुनिश्चित सिंद्धात है कि किसी भी प्राणी का जीवन स्वांस तथा प्राणों पर निर्भर होता है। यही कारण है कि अत्यंत धीमी और लयात्मक स्वांस लेने वाला कछुआ ५०० वर्ष से अधिक की आयु पाता है। अब यदि मनुष्य के हाथ कोई एसी युक्ति लग जाए जिससे वह अपनी स्वांस और प्राणों पर नियंत्रण पा सके तो मनुष्य अतिदीर्घ जीवन की अपनी इच्छा को भी पूर्ण कर सकता है। इस क्षेत्र में किये गए प्रयासों में यथा प्रयास यथा परिणाम के नियमानुसार सफलता मिल भी रही है। योग और अध्यात्म वह सुप्रीम साइंस है, जिसके बल पर प्राचीन ऋषि-मुनि हजारों वर्षों तक सशरीर जीवित ही नहीं पूर्ण क्रियाशील भी रहते थे। इस विज्ञान के बल पर वे अपने शरीरा की नई कोशिकाओं का बनना जारी रखते थे। जब शरीर में नव कोशिकाओं का बनना रुक जाता, वहीं से बुढ़ापा और मौत की उल्टी गिनती शुरू हो जाते हैं।

क्यों और कैसे किये जाते हैं सोलह श्रंगार ?

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शृंगार का उपक्रम यदि पवित्रता और दिव्यता के दृष्टिकोण से किया जाए तो यह प्रेम और अंहिसा का सहायक बनकर समाज में सोम्यता और शुचिता का वाहक बनता है। तभी तो भारतीय संस्कृति में सोलह शृंगार को जीवन का अहं और अभिन्न अंग माना गया है। आइये देखते हैं क्या होते हैं सोलह शृंगार-कैसे करते हैं सोलह शृंगार-

शौच- यानि कि शरीर की आन्तरिक एवं बाह्य पूर्ण शुद्धि।

उबटन- यानि हल्दी, चंदन, गुलाब जल, बेसन तथा अन्य सुगंधित पदार्थौ के मिश्रण को शरीर पर मलना।

स्नान- यानि कि स्वच्छ, शीतल या ऋतु अनुकूल जल से शरीर को स्वच्छता एवं ताजगी प्रदान करना

केशबंधन- केश यानि बालों को नहाने के पश्चात स्वच्छ कपड़े से पोंछकर,सुखाकर एवं ऋतु अनुकूल तेलादि सुगंधित द्रव्यों से सम्पंन कर बांधना।

अंजन- यानि कि आंखों के लिये अनुकूल व औषधीय गुणों से सम्पंन चमकीला पदार्थ पलकों पर लगाना।

अंगराग- यानि ऐक ऐसा सुगंधित पदार्थ जो शरीर के विभिन्न अंगों पर लगाया जाता है।

महावर-पैर के तलवों पर मेहंदी की तरह लगाया जाने वाला एक सुन्दर व सुगंधित रंग।

दंतरंजन-यानि कि दांतों को किसी अनुकूल पदार्थ से साफ करना एवं उनके चमक पैदा करना।

ताम्बूल- यानि कि बढिय़ा किस्म का पान कुछ स्वादिष्ट एवं सुगंधित पदार्थ मिलाकर मुख में धारण करना।

वस्त्र- ऋतु के अनुकूल तथा देश, काल, वातावरण की दृष्टि से उचित सुन्दर एवं सोभायमान वस्त्र पहनना।

ूषण- यानि कि शोभा में चार चांद लगाने वाले स्वर्ण, चांदी, हीरे-जवाहरात एवं मणि-मोतियों से बने सम्पूर्ण गहने पहनना।

सुगन्ध- वस्त्राभूषणों के पश्चात शरीर पर चुनिंदा सुगंधित द्रव्य लगाना। पुष्पहार-सुगंधित पदार्थ लगाने के पश्चात ऋतु-अनुकूल फूलों की मालाएं धारण करना

कुंकुम- बालों को संवारने के बाद में मांग को सिंदूर से सजाना।

भाल तिलक- यानि कि मस्तक पर चेहरे के अनुकूल तिलक या बिन्दी लगाना।

ठोड़ी की बिन्दी-अन्य समस्त श्रृंगार के पश्चात अन्त में ठोड़ी यानि चिबुक पर सुन्दर आकृति की बिन्दी लगाना।


कब और किसे मिलते हैं भगवान ?

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भगवान, ईश्वर, खुदा, परमात्मा, वाहेगुरु .....आदि कितने ही नामों से उसे पुकारते हैं लोग। कोई साकार को मानने वाला है, तो किसी की आस्था निराकार के प्रति है। पर इतना निश्चय है कि उसे किसी न किसी रूप में मानते सभी हैं। यहां तक कि अब तो विज्ञान भी विनम्रता पूर्वक यह स्वीकार करने करने लगा हे कि इस अद्भुत, असीम और विलक्षण सृष्टि को किसी चेतन सत्ता ने ही बनाया है। आधुनिक विज्ञान आज एक विनम्र विद्यार्थी की तरह अध्यात्म के चरणों में सहर्ष बेठने को तैयार है। ईश्वर के अस्तित्व को लेकर आज विज्ञान के मन में कोई संका-संदेह नहीं है।

प्यास जगे तो बात बने: अध्यात्म क्षेत्र के तत्व ज्ञानियों का यह अनुभव सिद्ध मत है कि, जिसके बिना इंसान किसी भी कीमत पर रह ही न सके वो चीज उसे तत्काल और भरपूर मात्रा में मिल जाती है। हवा, पानी, प्रकाश आदि चीजें जितनी जरूरी हैं, ईश्वर ने उन्हैं उतना ही सुलभ बना रखा है। यही बात ईश्वर प्राप्ति के विषय में भी लागू होती है। यदि किसी भक्त के मन में ईश्वर को पाने की प्यास सांस को लेने की प्यास जितनी तीव्र हो जाए तो तत्काल ईश्वर मिल सकता है। मीरा, नानक, रैदास, कबीर, रामकृष्ण-परमहंस, सूर तथा तुलसी आदि भक्तों को भगवान तभी मिले, जब उनके मन में ईश्वर प्राप्ति की तीव्र प्यास जाग गई।

हफ्ते में 3 बार तलाक, 2 बार शादी

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चीन के एक दंपती ने पिछले साल 7 दिनों में 3 बार तलाक लेकर एक रिकॉर्ड कायम किया है। यूथ टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक संपत्ति बंटवारे के समझौते में कोई खामी रहने के कारण इस दंपती ने एक हफ्ते में 3 बार तलाक लिया और 2 बार शादी की। पति पत्नी ने तलाक के लिए पहली बार अर्जी 14 जुलाई 2009 को दी थी। हालांकि उसी दिन दोपहर बाद वे दोबारा शादी करने का आवेदन लेकर आए। दरअसल इस दंपती के पास एक घर है जिसकी कीमत 20 युआन है। पत्नी पर किसी व्यापार के सिलसिले में 10 लाख युवान का कर्ज चढ़ा हुआ था। संपत्ति के बंटवारे को देखते हुए पत्नी के हाथ कुछ नहीं आ रहा था। इस बंटवारे के समझौते में खामियां रह जाने की वजह से उन्हें दो बार शादी करनी पड़ी।

फोटोग्राफर जॉन ने लपटों के बीच ली फोटो


लावा उगलते आइजफजालाजोकुल ज्वालामुखी को एकदम करीब से देखने वाले जॉन बैट्टी ने इसके काफी करीब से फोटो भी लिए। दरअसल जान वहां एड फिल्म शूटिंग के लिए गए थे। कपड़ों के विज्ञापन की शूटिंग के लिए कैमरे सेट कर रहे 58 वर्षीय जॉन बैट्टी को अचानक हवा घुटनभरी महसूस हुई, उन्होंने देखा 500 फीट दूर पहाड़ के मुहाने से लावा निकल रहा था। उनकी जीभ को भी अहसास हो चुका था कि यहां जहर हवाओं में फैल रहा है। उन्होंने कैमरे का मुंह दहकते मुहाने पर टिका दिया।

कुछ ही देर में लावा उनसे महज 10 फीट की दूर रह गया। 20 मार्च को ज्वालामुखी से लावा निकला था लेकिन बाद में इसका गुस्सा कम हो गया था। बैट्टी इसके दूसरे विस्फोटों को भी देखना चाहते थे लेकिन उनकी क्षमताएं जवाब देने लगी थीं। अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि वहां ऑक्सीजन की कमी के चलते दम घुटने लगा था।



बैट्टी ने जिस फ्लाइट से आइसलैंड छोड़ा उसके बाद कोई फ्लाइट इस क्षेत्र से नहीं गुजरी। अगले दिन बैट्टी को पता चला कि ज्वालामुखी ने 20 हजार फीट की ऊंचाई पर धूल-धुएं के गुबार फैला दिए हैंै। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वे मौत के मुहाने निकल आए हैं और कुछ ऐसी नायाब तस्वीरें भी ले आए हैं जो बेहद खास हैं।













शादी के लिए टंकी पर चढ़ी लड़की

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पिलानी (झुंझुनूं). बनगोठड़ी खुर्द गांव में सोमवार भरी दोपहर करीब डेढ़ बजे एक लड़की अपनी पसंद के लड़के से शादी न कराने पर टंकी पर जा चढ़ी और कूदने की धमकी देती रही। टंकी गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल कैंपस में है। करीब चार घंटे तक पुलिस और गांववालों की जान गले में अटकी रही। उसने पानी और मोबाइल की मांग की, तो पुलिस ने उसका भी बंदोबस्त किया। परिवार और समाज पर दबाव बनाने के लिए लड़की ने यह कदम उठाया।

वह बार-बार टंकी से कूदने की धमकी दे रही थी। टंकी पर लड़की के चढ़ने की खबर आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते टंकी के पास भीड़ जमा हो गई। लड़की के मां-बाप भी मजबूर होकर देखने के अलावा कुछ नहीं कर सके। इस दौरान लड़का नवीन भी वहां मौजूद था। सूचना मिलने पर पिलानी सीआई रमेश माचरा पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उसे नीचे उतरने के लिए मनाने की कोशिश करते रहे। लेकिन वह टस से मस नहीं हुई।



मोबाइल पर पुलिस ने लड़की को समझाया। माता-पिता से भी उसकी बात कराई। करीब घंटेभर सौदेबाजी चलती रही। शादी का भरोसा दिलाने पर ही लड़की टंकी से नीचे उतरी। लड़की और लड़के को भी पिलानी पुलिस साथ ले गई। जिससे वह शादी करना चाहती थी। देर शाम तक पुलिस व नायब तहसीलदार लड़की व उसके घरवालों से बातचीत कर रहे थे। तब तक पुलिस ने कोई मामला भी दर्ज नहीं किया था। लड़की घर जाने को राजी नहीं होगी तो उसे नारी सुधारगृह भेजा जाएगा। लड़की ने 11वीं का और लड़के ने पिलानी से बीए फाइनल का एग्जाम दिया है।



लड़के के घर भी गई थी



टंकी पर चढ़ने से पहले लड़की अपने प्रेमी के घर पर भी शादी की बात करने पहुंच गई थी। मगर जब वहां लड़के के घरवालों ने लड़की को खरी-खोटी सुनाते हुए शादी से इनकार करते हुए उसे घर से बाहर कर दिया तो लड़की ने यह कदम उठा लिया।



मामला अंतरजातीय



लड़की-लड़का नाबालिग और विजातीय हैं। इसलिए वीरू-बसंती की शादी में काफी विघ्न हैं। टंकी पर चढ़ी युवती स्वामी जाति की है, जबकि लड़का जांगिड़। मामला अंतरजातीय होने के कारण कोई भी पक्ष इस शादी के पक्ष में नहीं था।




पहले भी उठा चुके हैं कदम



गांववालों के मुताबिक कुछ रोज पहले घरवालों को इन दोनों के संबंध का पता चलने पर लड़के ने नशीली गोलियां खा ली थी, जब लड़की को इसका पता चला तो उसने एल्ड्रीन पी ली। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। बताया जाता है कि दोनों के करीब सालभर से संपर्क हैं। लड़की-लड़के के घर के बीच करीब 200 मीटर का फासला है।


31 अंगुलिओं वाले बच्चे का सफल ऑपरेशन

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शियांग (चीन). डॉक्टरों ने साढ़े छह घंटे तक चले एक सफल ऑप्रेशन में हाथों और पैरों की 31 अंगुलिओं वाले एक छह वर्षीय लड़के को सामान्य कर दिया। उत्तरी चीन के शियांग में रहने वाले ली जिनपेंग के माता पिता ने बताया कि उनके बेटे को लिखने और चलने में बहुत मुश्किल होती थी।

लेकिन अब वह पूरी तरह सामान्य है और नए शब्द लिखना सीख रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि उसके हाथों-पैरों में सूजन है। उसे कम अंगुलिओं के साथ सांमजस्य बैठाने में थोड़ा समय लगेगा लेकिन सूजन के कम होते ही वह शीघ्र ही इनसे काम लेने में पारंगत हो जाएगा।


जानवरों की डेटिंग के लिए वेबसाइट बनाई

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अपनी मादा मीरकट के लिए एक साथी न ढूंढ पाने से निराश एक ब्रिटिश व्यक्ति ने जानवरों की डेटिंग के लिए एक वैबसाइट बनाई है। मीरकटमैच डॉट कॉम में 3 वर्षीय लिली नामक मीरकट का प्रोफाइल, गैलरी और ब्लॉग है।

इसमें सिंगल मीरकट के मालिकों को उनका नाम रजिस्टर करवाने का मौका दिया गया है। लिल्ली की प्रोफाइल में लिखा है कि वह चंचल, गहरी आंखों वाली, जिज्ञासु और नर्म स्वभाव वाली है। इसमें इसके सैंस ऑफ ह्यूमर के साथ खाना खाने का सलीका भी शामिल है।

लिल्ली को शुभचिंतकों की ओर से ढेर सारे संदेश मिले हैं लेकिन कोई प्रस्ताव नहीं मिला। लीसैस्टरशायर स्थित ट्विनलेक्स फैमिली थीम पार्क का मालिक सैंडी ग्योरवारी और मनोरंजक पार्क के फॉर्म डायरैक्टर फिल बैनडैल लिल्ली के लिए उपयुक्त साथी ढूंढ रहे हैं। बैनडैल ने बताया कि हमारे दिमाग में लिल्ली के लिए एक साथी की जरूरत बारे तब अहसास हुआ जब वह डेवन स्थित पुराने घर से यहां आई थी।