Wednesday, March 31, 2010

हथेली पर नाम तेरा

दोस्तों वैसे तो ये मेरी कविता नहीं है मैंने कही से कॉपी की है पर ये जब मैंने पढ़ी तो मुझे इसमें बहुत सार्थकता दिखी और मेरे दिल को छु गयी इसलिए ये मैंने आपके समक्ष रखने का निर्णय लिया मुझे आशा है की आपको भी ये पसंद आएगी :-

फ़ुरसत में बैठते ही

ख़्यालों में खो जाती हूँ

हथेली पर नाम लिखती हूँ तेरा

फिर बार बार उसे मिटाती हूँ....

डरती हूँ कोई देख न ले

हाँ मैं बहुत घबराती हूँ..

तुझे इस ज़माने से

हर लम्हा छुपाती हूँ

कभी नज़रे भी फ़ेरती हूँ तुझसे

छुपके फिर आँसू बहाती हूँ

तेरे निराश होने पर

रूठ के चले जाने पर

कुछ दूर तक पीछा करते हुए

मैं साथ चली आती हूँ..

फिर देखती हूँ

कुछ नज़रों को

जो मुझे घूरने लगती है

बस

वही मेरी हद है

वहीं मैं रुक जाती हूँ...

दिल रोता है मेरा

होठों से मुस्कुराती हूँ...

पलटती हूँ

उन नज़रों का सामना करती हूँ

उनके सामने जाकर

हँसती हूँ खिलखिलाती हूँ

उन्हें यकीन दिला के कुछ

वापस चली आती हूँ...

ढूढंती हूँ तनहाई फिर

किसी कोने में छिप जाती हूँ

इस दुनिया की नज़रों से

दूर चली जाती हूँ...

फिर से सिलसिला शुरू करती हूँ

तेरा नाम हथेली पर अपनी

लिखती हूँ मिटाती हूँ..

मर्जी से विवाह का कानून जल्द

marriage_288नई दिल्ली. ऑनर किलिंग के मामले में पांच लोगों को मौत की सजा का करनाल की अदालत का फैसला खाप पंचायतों के लिए चेतावनी है। अब केंद्रीय कानून मंत्रालय भी जाति-धर्म के नाम पर फरमान सुनाने वालों पर कड़ा कानूनी शिकंजा कसने का मन बना रही है।

मंत्रालय दूसरी जाति या समुदाय में शादी करने वालों के लिए भारतीय साक्ष्य कानून और विवाह पंजियन कानून को भी आसान बनाने की तैयारी कर रहा है। इस मामले में अटॉर्नी जनरल की राय भी ली गई है।

कानून मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ऑनर किलिंग के मामले में एक अलग कानून बनाने पर विचार कर रही है। कानून मंत्रालय इस दिशा में जरूरीकाम कर रहा है। वैसे, एक विचार यह भी है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में एक नया क्लॉज जोड़कर ऑनर किलिंग के मामलों को शामिल किया जाए।

पिछले कुछ साल में ऑनर किलिंग के मामलों में तेजी आई है। कई युवाओं ने अपने समुदाय से बाहर शादी की और बदले में उनको मौत को गले लगाना पड़ा। कई मामलों में तो जोड़ों के अलावा उनके परिवार वालों को भी सामुहिक बहिष्कार, यातनाएं और मौत की सजा दी जाती रही है। मंत्रालय का कहना है कि धर्म या समुदाय के नाम पर प्रेमी जोड़ों का बहिष्कार करने वाले परिवारों और समुदायों के खिलाफ कानूनी प्रावधान कड़े किए जाएंगे। मंत्रालय का प्रस्ताव है कि ऑनर किलिंग के मामलों में दोषी पाए जाने पर किसी एक या दो की बजाए पंचायत के सभी सदस्यों को दोषी ठहराया जाए।

कानून मंत्रालय भारतीय साक्ष्य कानून और विवाह रजिस्ट्रेशन को भी आसान बनाने की तैयारी कर रहा है। इससे उन जोड़ों को शादी करने में आसानी होगी, जो अपने परिवार और समुदाय के खिलाफ जाकर अंतरजातीय विवाह करते हैं।

अधिकारियों का कहना है कि मंत्रालय चाहता है कि किसी विवाह के लिए जरूरी वर्तमान 30 दिनों के समय को कम कर दिया जाए। हालिया प्रावधान उन दंपतियों के लिए कई समस्याएं पैदा करता है, जो अपने घर या समुदाय की मर्जी के खिलाफ शादी करते हैं। इसके अलावा कोर्ट में शादी करने वाले लोगों के नाम 30 दिन तक नोटिस बोर्ड में भी लगाया जाता है, जिसकी वजह से जोड़ों पर हमले की आशंका और बढ़ जाती है। नए प्रावधानों में इन्हें हटाए जाने पर विचार चल रहा है।

महामशीन को पहली महासफलता

lhc_288जेनेवा. जेनेवा में दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग सफल हो गया है। महामशीन में प्रोटोन को टकराने में सफलता प्राप्त हुई है। इस प्रयोग के सफल होने से वैज्ञानिक बिग-बैंग थ्यौरी के जरिए ब्रहमांड की उत्पत्ति की गुत्थी सुलझा सकेंगे।

इस प्रयोग में प्रोटोन को टकराने में सफलता प्राप्त हुई है। यूरोपियन सैंटर फॉर न्यूकलियर रिसर्च के भौतिक वैज्ञानिकों ने महामशीन में 13.7 बिलियन साल पहले बिग-बैंग के जरिए हुए ब्रहमांड के निर्माण के समय की परिस्थितियों जैसा वातावरण तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। हालांकि पहले खबर यह थी कि तकनीकी खराबी के चलते यह प्रयोग देर से शुरु होगा

Tuesday, March 30, 2010

पृथ्वी पर हुआ अब नए युग का उदय!

क्या धरती पर नया युग आ गया है? कुछ भू-वैज्ञानिकों की मानें तो हमारी धरा पर एक नए युग का सूत्रपात हो चुका है। यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के चार वैज्ञानिकों ने किया है। इनमें एक वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारी पृथ्वी भौगोलिक समय के नए युग में प्रवेश कर गई है। इस युग को एंथ्रोपोसीन नाम दिया गया है।



जर्नल एनवायरनमैंटल साइंस एंड टेक्नॉलोजी में लिखे लेख में इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि नए युग में प्रवेश से पृथ्वी के इतिहास का छठा सबसे बड़ा विनाश होगा। अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी के इस जर्नल में इस दावे को पुख्ता करने के लिए वैज्ञानिकों ने वैश्विक परिवर्तन के सबूत भी उपलब्ध कराए हैं। इन वैज्ञानिकों में यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर के भू विज्ञानी जान जालासिविक्ज और मार्क विलियम्स, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट चेंज इंस्टीच्यूट के डायरेक्टर विल स्टीफन तथा मेन्ज यूनिवर्सिटी के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक पॉल कर्टजन शामिल हैं।



वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ दो शताब्दियों में ही मानव ने अपनी धरा को अप्रत्याशित रूप से इतना नुकसान पहुंचाया है कि हम एक नए भौगोलिक समयांतराल में प्रवेश कर गए हैं। मानव की हालिया गतिविधियों जैसे जनसंख्या वृद्धि, नगरों का बढ़ता फैलाव और जीवाश्म ईंधन (तेल) के बढ़ते प्रयोग ने धरती को एंथ्रोपोसीन नामक युग में प्रवेश करा दिया है। पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर हो रहे विनाश को देखते हुए वैज्ञानिक यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि क्या एंथ्रोपोसीन युग से जुरासिक, कैम्ब्रियन या इससे ही भौगोलिक समय पैमाने की कोई मिलती-जुलती इकाई की शुरुआत हो जाएगी?



हमारे शास्त्रों में भी हैं चार युग



भारतीय सनातन शास्त्रों में पहले से ही चार युगों का उल्लेख किया गया है, जो समय-समय पर आते रहे हैं। शास्त्रों के मुताबिक वर्तमान युग कलयुग का है। इसकी समाप्ति के बाद एक बार फिर सतयुग आने वाला है। शास्त्रों में पहला स्थान सतयुग का है, दूसरा त्रेता युग है, तीसरा द्वापर युग है और चौथा कलयुग है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि पृथ्वी के भविष्य को लेकर बहस चलती रहेगी, लेकिन एंथ्रोपोसीन युग मानव जाति और पृथ्वी, दोनों के इतिहास का नया चरण प्रदर्शित करेगा। इस युग में प्राकृतिक शक्तियों और मानवीय शक्तियों का टकराव बढ़ेगा। इस प्रकार एक का भाग्य दूसरे के भाग्य का निर्माण करेगा। भौगोलिक रूप से इस ग्रह के लिए यह महत्वपूर्ण अध्याय है।

ऑनर किलिंग मामले में 5 को फांसी, 1 को उम्रकैद

manoj_288चंडीगढ़। हरियाणा में मनोज-बबली हत्याकांड के 5 दोषियों को फांसी और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 25 मार्च को ही इन लोगों को दोषी करार दिया था। करनाल के सत्न न्यायालय ने इस मामले में तथाकथित खाप नेता गंगा राज और बबली के पांच परिजनों को कत्ल का कसूरवार ठहराया था। कोर्ट ने सोमवार को बयान दर्ज करने के बाद सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी थी।

पिछले गुरूवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए करनाल सेशन कोर्ट ने छह लोगों को मनोज और बबली की हत्या का दोषी करार दिया था। कोर्ट का ये फैसला तालिबानी फरमान सुनाने वाली हरिय़ाणा की खाप पंचायत के मुंह पर तमाचे की तरह है। वहीं इस फैसले के बाद मनोज की बूढ़ी मां को न्याय मिल गया है।

अतिरिक्त जिला एवं सत्न जज वानी गोपाल शर्मा ने इस मामले में पांच अभियुक्तों को मौत की सज़ा सुनाने के अलावा छठे अभियुक्त को भी उम्र कैद की सज़ा सुनाई। अदालत ने जिन लोगों को मृत्यु दंड की सज़ा सुनाई है वे सभी बबली के सम्बंधी हैं। इस मामले में उसके भाई सुरेश ,चाचा राजेंद्र मामा बारू राम चचेरे भाई सतीश और गुरदेव को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। इस मामले में अदालत ने खाप पंचायत के मुखिया गंगा राज को उम्र कैद की सज़ा तथा सातवें अभियुक्त मनदीप सिंह को मनोज(23) और बबली(19) के अपहरण तथा हत्या की साजिश में शामिल होने के लिए सात वर्ष कैद की सज़ा सुनाई।

कैथल जिले के करोडन गांव के मनोज ने लगभग तीन साल पहले बबली के घरवालों की इच्छा के खिलाफ उससे शादी की थी। दोनों के समान गोत्न का होने के कारण खाप पंचायत ने इस विवाह का विरोध किया और मनोज के परिवार के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की थी।

शादी के बाद करनाल में जा बसे मनोज और बबली की 15 जून 2007 को हत्या कर दी गई । अपराध में इस्तेमाल किए गए वाहन के चालक मनदीप सिंह के खिलाफ अपहरण और साजिश में शामिल होने का अभियोग लगाया गया है।

आज जिन सात लोगों को सज़ा सुनाई गई उन्हें अदालत ने गत 25 मार्च को ही इस मामले में दोषी करार देते हुए सज़ा सुनाने के लिए 29 मार्च की तारीख तय की थी। न्यायालय में कल अभियोजन और बचाव पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत आज तक के लिये स्थगित कर दी गयी थी।

उल्लेखनीय है कि कैथल जिले के करोड़ा गांव के मनोज और बबली ने 18 मई 2007 को विवाह कर लिया था वे दोनो एक ही गोत्न के थे जिसका गांव में काफी विरोध हुआ था, बाद में बबली के परिजनों और उनके समर्थकों ने जून 2007 को मनोज और बबली की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। इनके शव बाद में 23 जून को बरवाला ब्रांच नहर से बरामद हुए थे। लगभग तीन वर्ष तक चले इस मामले में लगभग 50 सुनवाइयां हुईं तथा इस दौरान 40 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए।

वो एक लड़की..

इंग्लैंड में 1964 में कई ड्राइवरों ने रात के समय एक भूरे बालों वाली लड़की को देखा। उस लड़की को देखकर बहुत से ड्राइवर भयभीत हो गए, क्योंकि लड़की कुछ क्षणों तक नज़र आने के बाद गायब हो जाती थी। 1972 तक बहुत-से लोगों ने उसका पीछा करना चाहा। उसे पकड़ना चाहा, पर हर बार वे असफल हो जाते। कुछ लोगों का विचार था कि उस जगह काफ़ी समय पहले एक दुर्घटना में एक भूरे बालों वाली लड़की मर गई थी। यह भूत उसी लड़की का था। लड़की ने दुर्घटना के समय पीले रंग की बरसाती पहनी हुई थी। उसका भूत भी उसी अंदाज़ में नज़र आता था।



लार्ड थॉमस को चला मौत का पता
24 नवंबर 1779 को र्से, इंग्लैंड का एक लॉर्ड थॉमस लाइलटन अपने कुछ मित्रों के साथ नाश्ते की मेज़ पर बैठा अपने चुटकुलों से सभा को हंसा रहा था। वार्तालाप के दौरान लॉर्ड ने अपने मित्रों को बताया कि तीन दिन बाद वह मर जाएगा, पर उसकी इस बात को कहकहों में उड़ा दिया गया। अगले दिन लॉर्ड ने विधानसभा में भाषण दिया, जिसे बहुत पसंद किया गया।



उसने अपने मित्रों से कहा कि वह अपने साथी पार्लियामैंट के सदस्य पीटर एंड्रूज के साथ वीक एंड बिताना चाहता है, पर तीसरी रात को सहसा ग्यारह बजे लॉर्ड थॉमस लाइलटन को अपने सीने में तीव्र पीड़ा का अनुभव हुआ और कुछ क्षणों बाद वह अपने एक सेवक की बांहों में दम तोड़ चुका था। ऐन उसी समय कुछ मील दूर डार्टफोर्ट में स्थित मकान में एंड्रूज की आंख खुल गई, तो उसने देखा कि लॉर्ड थॉमस उसके बिस्तर के पार खड़ा है और कह रहा है, ‘एंड्रूज! मेरा समय आ चुका है।’ उसके बाद वह गायब हो गया।



पीटर एंडरूज़ को चिंतावस्था में नींद न आ सकी और अगली सुबह उसे लॉर्ड के मरने की सूचना मिल गई, मानों लॉर्ड ने अपनी मौत की जो सूचना अग्रिम दी थी, वह सही साबित हुई।

संसार की सबसे धीमी-गति की गाड़ी

वाशिंगटन-काग रेल रोड विश्व भर में सबसे धीमी गति गाड़ी चलाने के लिए प्रसिद्ध है। उसके स्वामियों को इस बात पर गर्व और गौरव है कि जुलाई 1869 में जब उसका उद्घाटन हुआ था, उस समय से आज तक एक सौ चालीस वर्ष बीत जाने के दौरान न तो यह गाड़ी कभी दुर्घटनाग्रस्त हुई। न ही इस अंतराल में करोड़ों यात्रियों में से किसी को किसी प्रकार की कोई चोट या आघात पहुंचा। वाशिंगटन-काग रेल-रोड का यह दावा बिल्कुल सच है।



इस रेल का डिज़ाइन बनाने वाले सिलवैस्टर मार्श को निर्माण-कार्यो से जुनून की हद तक प्रेम था। काग रेलवे की योजना जब उसने सरकार के धनी लोगों के सामने रखी, तो सब उसकी इस मूर्खता पर हंसने लगे।



पांच हज़ार दो सौ अस्सी (5280) फुट ऊंचे वाशिंगटन पर्वत पर रेल पटरियां बिछाना, वह भी सन्1858 में कोई समझ में आने वाली बात नहीं थी। तीन महीने तक इस योजना पर सोच-विचार करने के बाद जब सिलवैस्टर मार्श ने अपने ऩक्शे, डिज़ाइन आदि न्यू हेम्सनाइर राज्य परिषद के सामने पेश किए, तो अधिकांश सदस्य इस मूर्खता पर कहकहे लगा कर हंसने लगे।



तीन मील प्रति घंटा की गति से चलने वाली यह गाड़ी मानों इंसान की चहल-क़दमी की गति से कुछ कम ही है। सबसे छोटी और सबसे धीमी गति की गाड़ी होने के बावजूद विदेशी यात्रियों को इस में एक वर्ष पहले सीट बुक कराने में भी कई बार निराशा और असफलता का मुंह देखना पड़ता है।

प्रेम क़द और उम्र नहीं देखता

यह घटना ब्राज़ील की है। प्रेमी-मेनुअल डीसोजा। उम्र 38 साल। आय- बस गुज़ारे के लिए। प्रकृति ने उसके साथ एक बड़ा मजाक किया था। उसका क़द केवल पौने दो फुट था। वह किसी सर्कस में मस्खरे का अभिनय नहीं करता था। वह तो सामान्य मनुष्यों की तरह जीवन बिताना चाहता था। लेकिन संसार की भीड़ में वह स्वयं को बिल्कुल अकेला अनुभव करता था। उसके हृदय में वह सभी आकांक्षाएं मचलती थीं, जो मनुष्य को सुंदर जीवन के स्वप्न दिखाती हैं। वह चाहता था कि कोई उसे अपनाए, प्यार करे, अपना जीवन साथी बनाए। वर्ष बीतते गए और उसकी यह अभिलाषा उसके हृदय में प्यासी तड़पती रही।



एक सांझ एक पार्टी में उसकी मुलाक़ात नावर-डे-फ्रीना से हुई। वह उसे अपने सपनों की राजकुमारी प्रतीत हुई। वह रूपवती थी। धनी परिवार से संबंध रखती थी। उसकी उम्र सिर्फ़ उन्नीस वर्ष थी और उसका ़क़द पांच फुट आठ इंच था। सामान्य लड़कियों के क़द से कुछ अधिक। मैनुअल उसकी कमर तक भी नहीं पहुंचता था।



पहली नÊार में ही मैनुअल उसे दिल दे बैठा। पहली मुलाकात के एक सप्ताह के पश्चात संयोगवश दोनों रास्ते में मिल गए। प्रेम के देवता का वाण निशाने पर लगा था।नावर के माता-पिता को जब उस बेजोड़ प्रेम का समाचार मिला, तो वे बहुत रुष्ट हुए। उनकी मुलाक़ातों पर प्रतिबंध लगा दिए गए। उस प्रेम का भूत उतारने के लिए नावर को यूरोप भेजने का कार्यक्रम बनने लगा।



दोनों छुप-छुप कर मिलते रहे और एक दिन दोनों ने घर से भागकर चुपचाप विवाह रचा लिया।अब पति-पत्नी एक छोटे-से नगर साउन-जू-आऊ में रहते हैं। उनके प्रेम में आज भी कोई कमी नहीं हुई। उनके माता-पिता, मित्र, मिलने वाले उनके विवाह को स्वीकार कर चुके हैं।



प्राय: कोई आगंतुक गुल्ली-डंडा जैसे पति-पत्नी पर कोई कटाक्ष कर देता है, किंतु वे परवाह नहीं करते। इन बातों के वह अभ्यस्त हो चुके हैं। नावर ने अपनी एक सहेली को मैनुअल से अपनी पहली मुलाक़ात के बारे में बताया, ‘वह गुड्डे की तरह एक कोने में खोया-खोया-सा खड़ा हुआ था। वह मेरी ओर कुछ अजीब ढंग से देख रहा था। उस समय उसकी नज़रों का मतलब समझना मेरे लिए कठिन था।



जब मैं पार्टी से घर वापस गई, तो उसकी शक्ल और याचक नज़रें बहुत देर तक मेरे मस्तिष्क में घूमती रहीं। मेरा दिल कहता था कि वह प्रेम की याचना कर रहा है। मैं मन ही मन में यह प्रार्थना करती रही थी कि उससे पुन: मुलाक़ात हो जाए। भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली। जब सड़क पर हमारी मुलाक़ात हुई, तो मैं बहुत प्रसन्न हुई।



अपने विवाहित जीवन के बारे में एक पत्रकार के प्रश्न के उत्तर में नावर ने कहा, ‘वह मुझ से प्रेम करता है। मैं उसे चहाती हूं। आयु और क़द का अंतर हमारे लिए अर्थहीन है।’

रियल लाइफ़ : मौत की उड़ान

यह एक ऐसे जांबाज पायलट की सच्ची कहानी है, जिसने ऐसे क्षणों में भी अपना विवेक नहीं खोया, जब मृत्यु उसके बिल्कुल सामने थी। अपने हौसले और सोच के बल पर उसने अपने समेत 170 यात्रियों को सकुशल धरती पर उतार दिया...



जहाज अकाश में उठ चुका था कि विमान-चालक को वायरलैंस पर संदेश मिला, ‘तुम्हारे जहाज़ का लैंडिग-गियर जल गया है। तीनों पहियों के टायर भी ज़ल गए है।’



‘ तुम क्या करना चाहते हो?’



रेड़ियों पर प्रश्न पर प्रश्न पूछे जा रहे थे, किंतु आई गोर वज़क मौन था। टीयू 112 का पायलट आईगोर वज़क एक सौ सत्तर यात्रियों को लिए पांच हज़ार मील की लंबी उड़ान के लिए प्रस्थान कर चुका था। वह अभी कठिनता से डेढ़ हज़ार गज़ ही चला था और मास्को अभी पांच हज़ार मील दूर था।



तभी हवाई-अड्डे के कंट्रोल-रूम से आवाज़ आई, ‘तुम्हारे जहाज़ का लैंड़िग-गीयर जल गया है और तीनों टायर भी ज़ल गए है।’ किंतु अब जहाज़ तेज़ रफ्तार हो चुका था। ‘तुम्हारा क्या फैसला है?’ कंट्रोल-रूम से ऑपरेटर पूछ रहा था। पायलट अब भी चुपचाप था। वह अकेला नहीं था। उसके साथ 170 लोगों का जीवन जुड़ा हुआ था। क्या जहाज़ को उतारा जाए? पायलट ने सोचा, किंतु पहिए ख़राब हो चुके हैं। यात्रियों को इस बात का पता ही न था कि मृत्यु उनके कितने समीप आ गई है।’



कंट्रोल-रूम में बैठे हुए लोगों ने सुना, ‘हम उड़ान जारी रखेंगे,’ जहाज़ का पायलट एक फ़ैसला कर चुका था। टीयू112 आकाश में बहुत ऊंचा उठ चुका था। अभी पूरे नौ घंटे की उड़ान बाक़ी थी। भय और आशंका के नौ घंटे। फ़ैसला कर लेने के बाद विमान-चालक के हाथ एक क्षण भी नहीं कांपे। पाइलेट जहाज़ उड़ा तो रहा था, पर आने वाले ख़तरे के विचारों से उसका दिमाग़ भरा हुआ था। शायद उसके हाथ अपने आप पुरज़ों पर चल रहे थे। समय बीतता जा रहा था। धरती बड़ी तेज़ी से पीछे छूटती जा रही थी। आई गोर वज़क संभलकर बैठ गया। निर्णयात्मक समय आने वाला था। कुछ ही देर बाद जहाज़ को उतरना था और उस क्षण के बारे में वह पूरे नौ घंटे से सोच रहा था। बिना पहियों के जहाज़ को धरती पर कैसे उतारा जाए?



उधर मास्को के हवाई अड्डे पर भी अफ़सरों के दिमाग़ में बार-बार यहीं प्रश्न था कि बिना पहियों के जहाज़ को कैसे धरती पर उतारा जाएगा? सबकी नज़रें आकाश की ओर उठी हुई थीं। उन उठी हुई नज़रों में दो आंखें डाइना की भी थीं। हां, आई गोर वज़क की पत्नी डाइना उसी हवाई अड्डे पर काम करती थी। उसकी आंखों में आंसू छलक आए थे।



‘टीयू112 उतरने ही वाला है। एंबुलैंस और फायर-ब्रिगेड के इंजन तैयार रहें,’ वज़क चाहता था कि ईंधन समाप्त हो जाए ताकि दुर्घटना होने पर भी जहाज़ में धमाका न हो। इसलिए उसने हवाई-अड्डे के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। वज़क ने सोचना बंद कर दिया और धीरे से बाएं लीवर को दबा दिया। आगे के पहिए ने धीरे से धरती को छू लिया था। अब दूसरा पहिया भी धरती पर दौड़ रहा था। वह अपनी सारी ताकत से जहाज़ को उसी ऊंचाई पर उड़ाने का प्रयत्न कर रहा था। यदि जहाज़ थोड़ा-सा भी एक ओर झुक जाता है, तो टूटा हुआ पहिया पक्की धरती से टकराते ही जहाज़ में आग लग सकती है। उसने जहाज़ का इंजन बंद कर दिया। जहाज़ की गति कम होती गई और नंगे पहियों ने धरती को आख़िर छू ही लिया। घायल पक्षी-सा टीयू 112 जैसे थक कर रूक गया। ज़िंदगी जीत गई थी। उसने मौत को पराजय दे दी थी।



उठी हुई आंखें..



सबकी नजरें आकाश की ओर उठी हुई थीं। उन उठी हुई नÊारों में दो आंखें डाइना की भी थीं। हां, आई गोर वजक की पत्नी डाइना उसी हवाई अड्डे पर काम करती थी। उसकी आंखों में आंसू छलक आए थे। टीयू112 उतरने ही वाला है था॥।


"तो दोस्तों है ना डर के आगे जीत "

ईसा मसीह के कफन का होगा प्रदर्शन

turin_288पिछले एक दशक में पहली बार वेटिकन अगले महीने तुरीन के कफन को प्रदर्शनी में रखेगा। ऐसा माना जाता है कि प्रभु ईसा मसीह को दफनाए जाने के समय उनकी पार्थिव देह को लिनेन के इस कपड़े से ढका गया था।

इस कपड़े (कफन) पर एक व्यक्ति का चित्र है, जिसे देखकर लगता है कि वह सूली पर लटकते हुए दर्द से कराह रहा है। इस चित्र की उत्पत्ति कई वैज्ञानिकों, धर्मशास्त्रियों, इतिहासविदों और शोधकर्ताओं के बीच एक गंभीर चर्चा का विषय है। वेटिकन ने अब यह घोषणा की है कि इस कफन को 10 अप्रैल से 23 मई के बीच तुरीन कैथ्रेडल में प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा। मालूम हो कि तुरीन कैथ्रेडल में यह कफन 500 से अधिक वर्षों से रखा हुआ है और चर्च के सहस्राब्दी समारोह के मौके पर 10 साल पहले आखिरी बार इसे प्रदर्शनी के लिए रखा गया था।

तुरीन कार्डिनल सेवेरिनो पोलेटे के हवाले से डेली मेल टैलीग्राफ ने बताया है कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि हमारी ईसाई आस्था कफन पर आधारित नहीं है बल्कि गॉस्पेल और एपोस्टील्स की शिक्षाओं पर आधारित है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस कफन की प्रमाणिकता साबित करना कठिन है। बहरहाल, उन्होंने माना कि इस बारे में कोई गणितीय निश्चितता नहीं है, जिससे यह प्रमाणित किया जा सके कि यह वही कफन है जिसे प्रभु ईशु की देह पर डाला गया था।

हनुमानजी की पूजा वानर रूप में क्यों?

hanumanहमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों में हनुमान को परम तेजस्वी बताया गया है। साथ ही वे अष्ट सिद्धियां व नव निधियों से परिपूर्ण हैं.. उनमें असामान्य बल हैं.. वे इच्छानुसार रूप बना लेते हैं.. वे हवा में अति तीव्रता से गमन कर लेते हैं.. विभिन्न दिव्य अस्त्रों-शस्त्रों वाले अविजित योद्धा हैं.. ऐसी कई दुर्लभ और असामान्य शक्तियां के स्वामी है हनुमानजी। साथ ही हनुमानजी कई भाषाएं जानते हैं। वे सभी शास्त्रों के ज्ञाता, परम विद्वान और अति सभ्य हैं।

इतनी अद्भुत बातों के देखते हुए एक प्रश्न प्राय: उठता है कि क्या इतनी शक्तियां किसी वानर के पास हो सकती है? क्या हनुमानजी वानर है? सामान्यत: सभी मानते है कि वे वानर ही है, वानर यानि बंदर। परंतु ऐसी दुर्लभ शक्तियों को देखते हुए हनुमानजी का वानर होना निश्चित ही एक रहस्य ही है। 30 मार्च को हनुमान जयंती है, भगवान रुद्र ने हनुमान के रूप में अवतार लिया था। आइए जानते हैं हनुमान वानर थे या इंसान।

इस रहस्य को समझने के लिए हमें वानर शब्द के अर्थ को समझना पड़ेगा। वानर यानि वह प्राणी जो वन में रहता हो, जो वन में उत्पन्न आहार से ही अपने उदर की पूर्ति करता हो, जो गुफाओं में रहता हो, जो वन में रहने वाले अन्य प्राणी की ही तरह आचरण करता हो, जिसका स्वभाव वन्य जीवों के जैसा हो आदि ऐसे ही सभी गुण वाले प्राणी को वानर कहा जाना चाहिए। हमारे कई प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख है कि बाली, सुग्रीव, हनुमान सहित सभी वानर, वानर बताए गए हैं। परंतु हनुमान के महान व्यक्तित्व को देखते हुए उन्हें बंदर मान लेना समझ से परे हैं। कुछ विद्वानों का मत यह भी है कि वानर समुदाय या जाति या आदिवासी समूह के आराध्य देव बंदर रहे हो जिससे उन्हें भी वानर ही समझा जाने लगा जाने लगा जैसे नाग की पूजा करने वाले समुदाय को नागलोकवासी कहा जाता है। परंतु जिस तरह नागलोक के रहने वाले प्राणियों को सर्प की भांति नहीं समझा जाता उसी तरह चमत्कारी और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हनुमान को वानर कैसे समझा जाएं? भगवान हनुनाम शिव यानी रुद्र के अवतार हैं, उन्हें सामान्य वानर मान लेना ठीक नहीं है। वे मनुष्य जाति के लिए आदर्श हैं। मनुष्य में छिपी प्रतिभा और संभावनाओं के साक्षात प्रतिनिधि है।

जिन्ह केंरही भावना जैसी..

भगवान के लिए कहा जाता है:

जिन्ह केंरही भावना जैसी..

प्रभु मूरति तिन देखी तैसी।

अर्थात् जिसकी जैसी भावना होगी, जो भगवान को जिस रूप में देखना चाहेगा उसे भगवान उसी रूप में दर्शन देंगे.. दिखाई देंगे। उसी तरह हम हनुमान को वानर के रूप मानते हैं, पूजते हैं तो वे वानररूप ही दिखाई देते हैं। भगवान के कई रूप है, वे हर जीव में, हर रूप में सर्वत्र विराजमान हैं। अत: वानर रूप में भी वे विराजमान हैं।

पाक क्रिकेटर शोएब से होगा सानिया का निकाह

saniaसानिया के पिता ने एक मेल के जरिए इस बात की पुष्टि की है कि सानिया की शादी पाक क्रिकेटर शोएब मलिक से होगी। पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो टीवी ने खुलासा किया था कि भारतीय टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा का निकाह शोएब मलिक से होगा।

सूत्रों की मानें तो इस बात की संभावनाएं जताई जा रही हैं कि शोएब और सानिया शादी के बाद दुबई में रहेंगे। खबर है कि दोनों का निकाह एक माह के अंदर हिंदुस्तान में ही होगा। हालांकि इस शादी से उनके खेल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। खबर है कि दोनों की शादी 15 अप्रैल को होगी और शादी की दावत 16 अप्रैल को दी जाएगी।

जियो टीवी पर प्रसारित एक विशेष रिपोर्ट के मुताबिक अप्रेल में दोनों की शादी होगी और 16-17 अप्रेल के आसपास लाहौर में रिसेप्शन होगा। हालांकि, शोएब ने ऐसी किसी भी खबर से इंकार किया था। शोएब सानिया से पहले हैदराबाद की रहने वाली आयशा सिद्दकी नाम की लड़की से निकाह कर चुके हैं।

जिओ टीवी के अनुसार शोएब मलिक की मां खुद सानिया के घर रिश्ता लेकर पहुंचेंगी। केवल पाकिस्तानी जिओ टीवी ने इस खबर को प्रसारित किया था। जहां एक ओर शोएब मलिक तलाकशुदा हैं वहीं सानिया मिर्जा की सगाई टूट चुकी है।

Sunday, March 28, 2010

ब्रेस्ट देखने से बढ़ती है उम्र

लंदन. पुरुष बहाने से महिलाओं की ब्रेस्ट देखते हैं, लेकिन अब आप इसे सिर्फ आकर्षण या सेक्स इच्छा से न जोड़कर देखें। क्योंकि महिलाओं के ब्रेस्ट के दर्शन करना का एक ऐसा भी फायदा है जिससे शायद आप अब तक अनभिज्ञ हों। महिलाओं के ब्रेस्ट देखने से उम्र भी बढ़ती है।


अगर आप चाहते हैं कि आपके जीने की उम्र में इजाफा हो तो अब इसके लिए आप स्त्रियों के स्तन को 10 मिनिट तक देखें। यह बात आश्चर्यजनक है लेकिन पूरी तरह से सत्य है। एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है।


न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में जर्मन साइंटिस्ट ने बताया कि जो पुरुष प्रतिदिन 10 मिनट स्त्रियों का स्तन देखते हैं उनकी उम्र में 5 वर्ष का इजाफा हो जाता है।


इस शोध में यह दावा किया गया कि स्त्रियों के स्तन को 10 मिनट तक देखने से उम्र में 30 मिनट का वर्क आउट होता रहता है।


पांच वर्ष तक 200 पुरुषों पर किए गए शोध में यह अजीबोगरीब बात सामने निकलकर आई है। जो पुरुष स्त्रियों का स्तन देखते हैं उनका ब्लडप्रेशर कंट्रोल में रहता है। साथ ही उनके कार्डियोवस्क्युलर रोग का प्रभाव भी कम हो जाता है। इन सब बातों का खुलासा इस शोध में हुआ है।


शोध के एक डॉ कारेन वेधरबॉय ने बताया कि सेक्सुअल डिजायर से खून के रक्तप्रवाह में नियत्रण रहता है जिससे स्वास्थ्य में सुधार रहता है।

Saturday, March 27, 2010

महिलाओं से भी बड़े हैं इस पुरुष के ब्रेस्ट

अगर किसी महिला के इतने बड़े ब्रेस्ट हो तो वो अपने हुस्न पर इतराती फिरे लेकिन अफसोस यह ब्रेस्ट एक पुरुष के हैं और वो इनसे निजात पाने के लिए इलाज करा रहा है।

डॉक्टरों का कहना है कि इस चाइनीज आदमी के दुनिया में पुरुषों में सबसे बड़े ब्रेस्ट हैं। 53 वर्षीय गुओ फेंग अपने बड़े बड़े मूब्स (पुरुषों के ब्रेस्ट के लिए प्रचलित शब्द) से निजात पाने के लिए परेशान हैं। अपने बड़े ब्रेस्ट के कारण उन्हें रोजाना के काम करने में परेशानी होती है।



अपने मूब्स से जहां फेंग परेशान हैं वहीं स्थानीय लोगों के लिए यह हंसी मजाक का अच्छा कारण है। स्थानीय लोग उनसे हंसी मजाक करने के लिए उनके डेरी फार्म पर इकट्ठा रहते हैं। लोगों से परेशान फेंग को भीषण गर्मी के दिनों में भी अपने बड़े ब्रेस्ट को छुपाने के लिए कोट पहनना पड़ता है।



फेंग बताते हैं कि लगभग दस साल पहले उनके ब्रेस्ट बड़े होने लगे, मगर उस समय उन्होंने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा क्योंकि उनके पूरे शरीर का ही वजन बढ़ रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों से ये इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि मुझे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में इनसे निजात पाने के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।



वो कहते हैं कि मैंने अपने ब्रेस्ट को छोटा कराने के लिए अपने सारे पैसे खर्च कर दिए लेकिन कोई भी समाधान नही हुआ। हालत यह है कि ये और बढ़ते जा रहे हैं। फेंग इतने हताश हो चुके हैं कि उनका डॉक्टरों से ही विश्वास उठ गया है। वो कहते हैं कि डॉक्टर ही मेरी मदद करना नहीं चाहते। वो मुझे मेडिकल साइंस के लिए एक नमूना समझते हैं।



जिनान चेस्ट हॉस्पीटल, बीजिंग के विशेषज्ञ डॉ. झांग लिलान कहते हैं कि उन्होंने अपने तीस वर्षों के अनुभव में ऐसा मामला नहीं देखा है। फेंग हर मामले में पुरुष है लिकन फिर भी उसके ब्रेस्ट इतने ज्यादा बड़े हैं।



डॉ. लिलान बताते हैं कि पहले हमने समझा कि फेंग ने कोई जहरीली चीज खा ली है लेकिन जब उसका ब्लड टेस्ट किया तो उसमें ऐसा कुछ नही निकला। हमनें जांच में पाया कि उसे कैंसर भी नहीं है। उसके अनुवांशिक जीन भी ठीक हैं। हमे यह कोई फैट्टी कोशिकाएं लग रही हैं। यह पुरुषों के बड़े ब्रेस्ट का सबसे बड़ा मामला हैं।



फेंग एक किसान है और उसके ब्रेस्ट उसके हर काम में अड़चन बनते हैं। उसे काम करने में अपने मूब्स के कारण काफी दिक्कत आती है।



फेंग अपने मूब्स से इतने ज्यादा परेशान हो चुकें है कि हताश होकर वो कहते हैं कि अगर किसी डॉक्टर ने उनकी मदद नहीं की तो वो खुद ही अपने ब्रेस्ट काट डालेंगे।


Friday, March 26, 2010

जूजू के एक एड पर प्रतिबंध

juju_288अब आप टीवी पर जूजू के एक विज्ञापन को नहीं देख पाएंगे। वजह यह है कि कुछ आपत्‍ति के बाद जूजू के एक विज्ञापन पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि जूजू वोडाफोन का काफी चर्चित विज्ञापन है।

ऐडवर्टाइंजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है कि उसने जूजू के एक विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें जूजू को आत्‍महत्‍या करते हुए दिखाया गया है।

वहीं, कंज्‍यूमर कंप्लेंट्स काउंसिल का कहना है कि इसमें एक ऐसे ऐक्‍शन को दिखाया गया है जो बच्चों पर गलत असर डाल सकता है। जिसके कारण इस विज्ञापन को तत्‍काल प्रभाव से टीवी से हटाने का निर्देश दिया गया है। जिस पर अमल भी कर लिया गया है।

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इनका तो बैंड बज गया 3




इनका तो बैंड बज गया 2




इनका तो बैंड बज गया २

इनका तो बैंड बज गया 1

दुनियाभर में शादी की अलग-अलग परंपराएं हैं। हर कोई चाहता हैं कि उसकी शादी यादगार हो लेकिन कुछ शादियां ऐसी होती हैं जो अपने आप ही यादगार और मजेदार बन जाती हैं। देखिए शादियों की कुछ

ऐसी ही तस्वीरें जिन्हें देखकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे।



Thursday, March 25, 2010

''अपराध नहीं शादी से पहले SEX''

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध कोई अपराध नहीं है। चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने दक्षिण भारतीय अभिनेत्री खुशबू की विशेष अनुमति याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह व्यवस्था दी।

शीर्ष कोर्ट ने कहा, ‘जब दो वयस्क साथ रहना चाहते हों तो इसमें गलत क्या है। क्या यह कोई अपराध है?’ अदालत ने कहा, यहां तक कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कृष्ण और राधा भी साथ-साथ रहते थे। बेंच ने कहा कि कोई भी कानून लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले सेक्स पर पाबंदी नहीं लगा सकता।

खुशबू ने याचिका में अपने खिलाफ दायर 22 आपराधिक मामलों को खारिज करने की मांग की थी। ये मामले उनके द्वारा दिए गए इंटरव्यू में विवाह पूर्व यौन संबंध को जायज ठहराने के खिलाफ दायर किए गए थे।

बेंच ने कुछ याचिकाओं के लिए पैरवी करने वाले वकीलों से बार-बार कहा कि जान-बूझकर की गई अनैतिक गतिविधियों को अपराध की संज्ञा नहीं दी जा सकती। वकीलों का कहना था कि खुशबू द्वारा शादी से पहले सेक्स को मान्य किए जाने से युवाओं का नैतिक पतन होगा। इस पर बेंच ने कहा, ‘साथ रहना जीवन का अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 21 में स्वच्छंदता से जीने को मौलिक अधिकार माना गया है।’ बेंच ने खुशबू के बयान को उनके निजी विचार माना। खुशबू ने मद्रास हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने के खिलाफ अपील की थी।

चट शादी, पट तलाक मौलिक अधिकार नहीं

शादी के सिर्फ दो दिन बाद आपसी सहमति से तलाक मांगने वाले एक दंपती को सुप्रीम कोर्ट ने दो-टूक शब्दों में न कह दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि दंपती को तब तक तलाक मांगने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जब तक वे छह महीने तक अलग रहने की कानूनी औपचारिकता पूरी नहीं कर लेते।

जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस बीएस चौहान की बेंच ने मंगलवार को कहा कि कानूनन यह मंजूर नहीं कि चूंकि दंपती ने परस्पर आरोप लगाए बगैर आपसी सहमति से तलाक मांगा है, इसलिए उनकी मांग मान ली जाए। उन्हें छह माह तक एक-दूसरे से अलग रहना पड़ेगा। इसके बाद वे फैमिली कोर्ट में जाकर तलाक मांग सकते हैं।

सुमित और पूनम ने पिछले साल शादी करने के 48 घंटे बाद ही तलाक मांगा था। इस पर फैमिली कोर्ट ने उन्हें छह माह तक इंतजार करने को कहा था। पूनम ने इसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए रिट याचिका दायर की थी। उसने सुमित को प्रतिवादी बनाया था। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान पूनम की ओर से पहले तो कोई वकील पेश नहीं हुआ। आखिर में पेश हुए एक वकील ने कहा कि उसे यही पता नहीं है कि यह रिट याचिका दायर कैसे हो गई। बेंच ने इस पर नाराजगी जताते हुए पूनम की याचिका खारिज कर दी।

Monday, March 22, 2010

भिखारियों का मसीहा निकला चोर

मुंबई. पुलिस से बचने के लिए शातिर चोर कई तरीके अपनाते हैं। लेकिन यहां गिरफ्तार हुए एक चोर ने भिखारियों और फुटपाथी बच्चों को पुलिस की कार्रवाई जानने के लिए मुखबिर बना रखा था। खुद को गरीबों का मसीहा और ‘रॉबिन हुड’ मानने वाला यह चोर इसी तरकीब के सहारे दो साल तक पुलिस को चकमा देता रहा।



मणि कंदन (36) ने पुलिस की पूछताछ में दावा किया है कि वह अमीरों का घर लूटकर गरीबों की मदद करता था। यहां तक कि वह जरूरतमंदों के लिए 25 एंबुलेंस खरीदना चाहता था। सेंधमारी और डकैती के 15 से ज्यादा मामलों में वांटेड कंदन को पुलिस ने शुक्रवार को मानखुर्द से गिरफ्तार किया था।



एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंदन ने गरीब फुटपाथी बच्चों और भिखारियों को अपना दोस्त बना रखा था। वह उन्हें खाना खिलाता था। बदले में वह उनसे शहर के पूर्वी क्षेत्र में पुलिस की तमाम गतिविधियों का ब्योरा प्राप्त करता था। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से इन्हीं में से चार बच्चों को अपने पक्ष में करने के बाद जाल बिछाकर कंदन को पकड़ा। कंदन ने 12वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी थी।

दुनिया का सबसे महंगा टीवी, कीमत 10.33 करोड़ रुपए

दुनिया में महंगी चीजों की कमी नही हैं और न ही लोगों के पास पैसे की। अगर लोगों के पास खरीदने के लिए पैसा न हो तो शायद बेतहाशा महंगी चीजें न बनाई जाएं। अब टीवी को ही ले लीजिए। टीवी की आवश्यकता बस इतनी है कि वो साफ तस्वीर दिखाएं और आवाज भी साफ हो।



लेकिन एक टीवी ऐसा भी है जिसमें हीरे और जवाहरात जड़ें हैं। और इस टीवी की कीमत इतनी है कि इसके बदले में हजारों टीवी मिल जाएं। हीरों जड़ित इस टीवी की कीमत है 15 लाख पाउंड यानी लगभग 10.33 करोड़ रुपए। यह दुनिया का सबसे महंगा टीवी हैं। एचडी सुप्रीम रोज टीवी के नाम से आने वाले इस टेलीविजन को ब्रिटिश डिजाईनर स्टुआर्ट हग ने डिजाइन किया है और वो ऐसे मात्र तीन टीवी ही बनाएंगे।



इस टीवी की स्क्रीन भी 55 इंच है और इसमें 72 हीरे लगे हैं। इसके सोने के फ्रेम में सैंकड़ों रत्न लगें हैं। इससे पहले 2006 में इटली में बने एक टीवी की कीमत थी 62 लाख रुपए।